सोचने की क्षमता हो सकती है प्रभावित, ठंड में हाइपोथर्मिया का बढ़ा खतरा, जानें लक्षण और बचाव

ठंड की वजह से गिर जाता है शरीर का तापमान, व्यक्ति की सांसें पड़ जाती है धीमी

शरीर का सामान्य तापमान उम्र, जेंडर और स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है

 सोचने की क्षमता हो सकती है प्रभावित, ठंड में हाइपोथर्मिया का बढ़ा खतरा, जानें लक्षण और बचाव


रायपुर. हमारे शरीर का एक सामान्य तापमान होता है। तापमान सामान्य व सुरक्षित स्तर से अचानक नीचे गिर जाता है तो यह अल्पताप या हाइपोथर्मिया कहलाता है। यह समस्या गंभीर भी साबित हो सकती है। ठंड में हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. पंकज किशोर मिश्र का कहना है कि हमारे शरीर को अधिक सामान्य तापमान चाहिए होता है लेकिन शरीर जब जरूरी गर्माहट को संरक्षित नहीं रख पाता तो मुश्किल स्थिति बन जाती है।


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यह समस्या ज्यादा देर ठंड या ठंडे पानी में रहने की वजह से होती है। हाइपोथर्मिया की वजह से सोचने की क्षमता और याद्दाश्त कमजोर होने की ज्यादा संभावना होती है। साथ ही बोलने की गति कम हो जाती है। अत्यधिक कंपन, सांसें धीमी और कुछ लोगों को शारीरिक थकान और हाथ-पैर सुन्न होने की समस्या हो जाती है।

नवजातों की त्वचा हाइपोथर्मिया की वजह से बिल्कुल लाल या ठंडी हो जाती है। डॉ. पंकज किशोर मिश्र के मुताबिक, शरीर में गर्मी बनाए रखने का कार्य दिमाग का एक हिस्सा करता है, जिसे हाइपोथेलेमस कहा जाता है। जब हाइपोथेलेमस को संकेत मिलता है कि शरीर में गर्माहट का स्तर गिर रहा है, तो यह शारीरिक तापमान को उठाकर सामान्य बनाने का कार्य करता है।

शरीर का सामान्य तापमान

शरीर का सामान्य तापमान उम्र, जेंडर और स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है। वैसे, सामान्य शारीरिक तापमान 97.7 डिग्री फारेनहाइट यानी 36.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 99.5 डिग्री फारेनहाइट यानी 37.5 डिग्री सेल्सियस तक होता है। न्यून्तम सामान्य शारीरिक तापमान 36 डिग्री सेल्सियस भी हो सकता है। शारीरिक तापमान के 95 डिग्री फारेनहाइट से नीचे गिरने को हाइपोथर्मिया और 38 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा शारीरिक तापमान को बुखार की समस्या कहा जाता है।

बच्चे-बुजुर्ग को ज्यादा खतरा

हाइपोथर्मिया की समस्या वैसे तो किसी को भी हो सकती है लेकिन उम्र इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। सामान्य तौर पर बुजुर्ग, बच्चे और नवजात शिशुओं को यह समस्या ज्यादा होती है क्योंकि इनमें सामान्य शारीरिक तापमान को बनाए रखने की क्षमता कम रहती है। शराब या ड्रग्स का सेवन करने वालों को भी हाइपोथर्मिया का ज्यादा खतरा रहता है।