Diabetes Effects on Body: विशेषज्ञों के अनुसार मधुमेह के गंभीर मामलों में ये बीमारी शरीर के अन्य अंगों पर भी असर करती है
हाई ब्लड शुगर दिल, किडनी और आंखों को भी प्रभावित करता है, जानें Diabetes के 3 प्रकार |
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क्या है डायबिटीज: डायबिटीज एक ऐसी ही बीमारी है जो आमतौर पर लोगों को अस्वस्थ आहार लेने से और शारीरिक रूप से असक्रिय होने के कारण अपनी चपेट में लेती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि शहरीकरण की ओर बढ़ते लोगों में अस्वस्थ खानपान, अनियमित जीवन शैली व आलस्य की अधिकता देखने को मिलती है। मसालेदार, प्रोसेस्ड, पैकेज्ड और फास्ट फूड शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने का कार्य करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मधुमेह के गंभीर मामलों में ये बीमारी शरीर के अन्य अंगों पर भी असर करती है।
आंखें: डायबिटीज के मरीजों की आंखों की रोशनी भी प्रभावित होती है। इन रोगियों में रेटिनोपैथी का खतरा होता है। इस कारण मरीजों की आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। ये कंडीशन तब बनती है जब किसी भी मरीज के रेटिना में मौजूद ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाते हैं।
किडनी: डायबिटीज के मरीजों में यूरिन के मार्ग में एल्ब्यूमिन प्रोटीन का रिसाव होने लगता है। साथ ही, किडनी के ब्लड वेसल्स भी इससे प्रभावित होते हैं तो किडनी खून में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सक्षम नहीं रह जाती है। इसके कारण शरीर में पानी व नमक का स्तर भी बढ़ जाता है। मधुमेह रोगियों को पेशाब करने में दिक्कत हो सकती है जिससे ब्लैडर पर दबाव हर समय बना रहता है। इस प्रेशर से किडनी इंजरी का खतरा अधिक होता है।
हृदय: दूसरों के मुताबिक डायबिटीज रोगियों में कम उम्र में ही हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा मोटापा, स्ट्रेस, स्मोकिंग या फिर अस्वस्थ खानपान के कारण हो सकता है।
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3 तरह का होता है डायबिटीज:
टाइप 1 डायबिटीज – डायबिटीज टाइप 1 एक ऑटो इम्युन डिजीज है। इस तरह के डायबिटीज में पैन्क्रियाज ठीक तरीके से कार्य करना बंद कर देती है। इस कारण पैन्क्रियाज में मौजूद बीटा सेल्स डैमेज हो जाते हैं जिससे इंसुलिन नहीं बनता है।
टाइप 2 डायबिटीज – जो लोग मध्यम आयु वर्ग या बूढ़े होते हैं, उन्हें इस तरह के डायबिटीज होने की सबसे अधिक संभावना होती है, इसलिए इसे एडल्ट-ऑनसेट डायबिटीज कहा जाता है। इसके लिए मोटापा, हाइपरटेंशन और खराब जीवन शैली जिम्मेदार होती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज – जेस्टेशनल डायबिटीज यानी गर्भावधि मधुमेह, ये महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपनी चपेट में लेता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार प्रेग्नेंसी के बीच नींद पूरी न कर पाना या अनियमित खानपान और स्ट्रेस के कारण महिलाएं गर्भावधि में इस बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं